Anam

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सूरदास जी के पद



मधुकर! स्याम हमारे चोर
मन हरि लियो सांवरी सूरत¸ चितै नयन की कोर।।
पकरयो तेहि हिरदय उर-अंतर प्रेम-प्रीत के जोर
गए छुड़ाय छोरि सब बंधन दे गए हंसनि अंकोर।।
सोबत तें हम उचकी परी हैं दूत मिल्यो मोहिं भोर
सूर¸ स्याम मुसकाहि मेरो सर्वस सै गए नंद किसोर।।

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